मृत्यु तो भगवान का आमंत्रण है, जब वह आए तो द्वार खोलकर उसका स्वागत करो और, चरणों में ह्रदयधन सौंपकर अभिवादन करो। Rabindranath Tagore
आईने का जीना भी लाजवाब हैं जिसमे स्वागत सबका है लेकिन संग्रह किसी का नहीं। सुप्रभात